राजस्थान के प्रमुख मन्दिर राजस्थान के प्रमुख मन्दिर
रणकपुर जैन मन्दिरः-
इसे चैमुखा मन्दिर भी कहते हैं। यह भगवान महाविर का समर्पित हैं। यह पाली के रणकपुर में मथाई नदी के किनारे कुम्भा के शासन काल में इसके मंत्री धारणशाह ने बनावाया था। इसका शिल्पी देपाक था। इसमें आदिनाथ की चैमुख मूर्ति स्थापित हैं। इसमें 1444 खम्भे हैं अतः इस मन्दिर को स्तम्भों का वन, त्रिलोक दीपक, चतुर्मुख जिन प्रसाद आदि नामों से जाना जाता हैं।
पाश्र्वनाथ मन्दिर:-
मन्दिर भी रणकपुर जैन मंदिर पास ही हैं। जिसमें अश्लील मुर्तियां लगी हुई हैं। इसलिए इसे वैश्याओं का मन्दिर भी कहते हैं।
तनोट माता का मन्दिर:-
इनका मन्दिर जैसलमेर में हैं। इनकों थार की वैष्णों देवी भी कहते हैं। तथा ये भाटी शासकों व सेना के जवानों की इष्ट देवी है। और इसे रूमाली वाली देवी भी कहते हैं। इसकी पुजा बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान करते हैं। यहाँ पर 1965 के भारत-पाक युद्व में भारत की जीत का विजय स्तम्भ हैं।
सालासर बालाजीः-
चुरू के आसोटा गाँव में हल चलाते समय एक किसान को दाड़ी-मुँछ युक्त हनुमानजी की मुर्ति मिली तथा मोहनदास नामक व्यक्ति ने इसको सुजानगढ़ तहसील के सालासर गाँव में स्थापित कर इनका मन्दिर बनवाया। यह सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र मन्दिर है जिसमें बालाजी महाराज के दाड़ी-मूँछ हैं। इसे सिद्व हनुमंत पीठ भी कहते हैं।
हर्षनाथ/हर्ष भैंरू/हर्ष महादेव का मन्दिरः-
हर्ष जीण माता के भाई थे। इन्होंने सीकर में पहाड़ी पर तपस्या कि थी। तथा 10वी शताब्दी में गुवक प्रथम ने इसके मन्दिर का निर्माण करवाया था। यहाँ पर बह्य व विष्णु को शिवलिंग का अािद व अन्त जानने हेतु परिक्रमा करते हुए दिखाया गया।
खाटूश्यामजी का मन्दिरः-
सीकर के दातांरामगढ़ तहसील के खाटू गाँव में श्याम जी/ कृष्ण जी के मन्दिर की नींव अभयसिंह जो की मारवाड़ के राजा थे। इनके द्वारा रखी गयी। यहाँ पर फाल्गुन महिने में मेला भरता हैं।
वशिष्ट जी का मन्दिरः-
सिरोही माण्उट आबू में वशिष्ट जी ने यज्ञ किया था। तथा यज्ञ में राजपुतों की चार परमार, चैहान, प्रतिहार, चालुक्य उत्पन्न हुई।
देलवाड़ा के जैन मन्दिरः-
सिरोही माण्उट आबू में 11वीं से 13वीं शताब्दी के सोलंकी कला के नमुने के रूप में पाँच मन्दिरों का समूह हैं। (1.) आदिनाथ मन्दिर यह ऋषभदेवजी का मन्दिर हैं। जिसका निर्माण 1031 ई. में चालुक्य राजा भीमसिंह के मंत्री विमलशाह ने करवाया। अतः इसे विमलशाही मन्दिर भी कहते हैं। इस मंदिर का शिल्पकार कीर्तिधर था। कर्नल जेम्स टाॅड ने इसके बारे में कहा कि “ भारत देश के भवनों में ताजमहल के बाद यदि कोई भवन है तो वह विमलशाह का मन्दिर हैं। (2.) नेमीनाथ का मन्दिर इसे देवराणी-जिटाणी का मन्दिर भी कहते हैं। इसका निर्माण चालुक्य राजा धवल के मंत्री तेजपाल ने करवाया था। इसमें जैनों के 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ की काले पत्थर की प्रतिमा लगी हुई हैं। (3.) भीमशाह का मन्दिर इसे पित्तलहर का मन्दिर भी कहते हैं। इसमें आदिनाथ की 108 मन पीतल की प्रतिमा स्थापित हैं। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में भीमशाह द्वारा करवाया गया। (4.) खरतवसही मन्दिर (5.) महावीर स्वामी मन्दिर
जगत शिरोमणी का मन्दिरः-
आमेर-जयपुर के महलों में मानसिंह की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में इसका निर्माण करवाया। इस मन्दिर में जो काले कृष्ण की प्रतिमा हैं। उसकी पुजा मीरां बाई किया करती थी। इसलिए इस मन्दिर को मीरां मन्दिर भी कहते हैं।
अम्बिका देवी का मन्दिरः-
उदयपुर के जगत इस मन्दिर का निर्माण महामारू शैली में किया गया। इसे मेवाड़ का खजुराहों कहा जाता हैं। यहाँ पर राजस्थान का दूसरा रोप-वे हैं। तथा पहला सुन्धा माता जालौर में हैं।
एकलिंग जी का मन्दिरः-
उदयपुर के कैलाशपुरी में इसका निर्माण बाप्पा रावल ने करवाया था। तथा वर्तमान स्वरूप महाराजा रायमल ने दिया। एकलिंग जी का मन्दिर लकुलिश सम्प्रदाय से सम्बधित है।
कल्याण जी का मन्दिरः-
यह डिग्गी (मालपुरा-टोंक) में हैं। इसका निर्माण मेवाड़ के राजा सग्राम सिंह के शासनकाल में हुआ। यह विष्णु के अवतार के रूप में जाने जाते हैं। तथा मुस्लिम इन्हें कुलहपीर के रूप में पुजते हैं। यह भगवान विष्णु की एकमात्र ऐसी मुर्ती है जिसके सुबह बाल्यावस्था में, दोपहर को युवावस्था में तथा शाम को वृद्वावस्था में दर्शन होते हैं।
श्रीनाथ जी का मन्दिरः-
इनकी मुर्ति औरंगजैब के समय में राजसिंह के शासनकाल में 1691 ई. में दामोदर तिलकायत द्वारा वृन्दावन से यहाँ लाई गयी थी। इसका मन्दिर बनास नदी के तट पर स्थित हैं। जो वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र हैं। नाथजी का सात धव्जा को स्वामी कहा जाता हैं। तथा यहाँ के गीत हवेली गीत कहलाते हैं।
जीण माता का मन्दिरः-
इनको शेखावाटी क्षेत्र की लोक देवी, मधुमक्खियों की देवी, चैहानों की कुल देवी आदि नामों से जाना जाता हैं। इनका जन्म चुरू जिलें के धांधु गाँव में हुआ। इनके मन्दिर का निर्माण पृथ्वीराज चैहान प्रथम के समय हट्टड़ द्वारा हर्ष की पहाड़िया पर करवाया गया।
तुरताई माता का मन्दिर:-
इनको त्रिपुरा सुन्दरी भी कहते हैं। इनका मन्दिर तलवाड़ा गाँव बाँसवाडा में हैं। यह पांचाल जाति की कुल देवी हैं। तथा मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की इष्ट देवी हैं।
राजस्थान के प्रमुख मन्दिरों के नाम तथा उसका स्थानः-
भटियाणी माता का मन्दिर = जैसलमेर
बाबा रामदेव जी का (रामदेवरा) मन्दिर = जैसलमेर
सिरे का मन्दिर = जालौर
सुन्धा माता का मन्दिर = जालौर
महोदरी माता का मन्दिर =जालौर
हैराम्ब गणपति का मन्दिर = बीकानेर
भंडेश्वर व संडेश्वर का मन्दिर = बीकानेर
मेहन्दीपुर बालाजी का मन्दिर = दौसा
मदनमोहन मन्दिर = करौली
मुकन्दरा का शिव मन्दिर = कोटा
विभीषण जी का मन्दिर = कैथून (कोटा)
देव सोमनाथ का मन्दिर = डूँगरपुर
गवरी बाई का मन्दिर = डूँगरपुर
बेणेश्वर धाम = नवाटापुरा-डुँगरपूर
घाणोराव/मुँछाला महावीर जी का मन्दिर = पाली
स्वर्ण मन्दिर = फालना (पाली)
वैंकटेश्वर तिरूपति बालाजी का मन्दिर = सुजानगढ़ चुरू
33 करोड़ देवी-देवताओं की चादर = मण्डोर जोधपुर
सच्चियाँ माता का मन्दिर = ओसियाँ जोधपुर
अधर शिला रामेदव का मन्दिर = जोधपुर
भैंरूजी का मन्दिर = रींगस-सीकर
सुरणी धाम सूर्य मन्दिर = श्रीमाधोपुर-सीकर
ओमल-सोमल का मन्दिर = सलेदीपुरा(सीकर)
गंगा माता का मन्दिर = भरतपुर
उषा मन्दिर = भरतपुर
सवाई भोज का मन्दिर = आसिन्द-भीलवाड़ा
तिलस्वा महादेव का मन्दिर = भीलवाड़ा
अर्बूदा देवी/ अधर देवी = सिरोही
अचलेश्वर महादेव का मन्दिर = सिरोही
बाजणा गणेशजी का मन्दिर = सिरोही
कुँवारी कन्या एवं रसिया बालम जी मन्दिर = माउण्ट आबू-सिरोही
कल्की मन्दिर = जयपुर
शिला माता का मन्दिर = आमेर-जयपुर
बिड़ला मन्दिर = जयपुर
सिद्वेश्वर शिव का मन्दिर = जयपुर
बृहस्पति देव का मन्दिर = दुर्गापुरा जयपुर
मीरां बाई जी का मंदिर/चारभुजा जी का मंदिर = मेड़ता नागौर
ब्रह्यजी का मन्दिर = पुष्कर-अजमेर
सावित्री जी का मन्दिर = पुष्कर-अजमेर
वराह मन्दिर = पुष्कर-अजमेर
सोनी जी की नसिया = अजमेर
भण्डदेवरा = रामगढ़-बाराँ
सीताबाड़ी का मन्दिर = बाराँ
फुलदेवरा/मामा-भाँजा का मन्दिर =अटरू-बाराँ
काकँूनी मन्दिर = बाराँ
ब्रह्यणी माता का मन्दिर = बाराँ
सास-बहु का मन्दिर = नागदा-उदयपुर
तेली का मन्दिर = उदयपुर
ऋषभदेवजी/केसरिया नाथजी का मन्दिर = उदयपुर
रणछोड़जी का मन्दिर/किराडु का मन्दिर = बाड़मेर
मल्लीनाथ जी का मन्दिर = तिलवाड़ा-बाड़मेर
सोमेश्वर मन्दिर = बाड़मेर
विरात्रा माता का मन्दिर = चैहटन-बाड़मेर
हल्देश्वर महादेव का मन्दिर = पीपलूद गाँव (बाड़मेर)
खूबड़ माता का मन्दिर = बाड़मेर
गरीबनाथ का मन्दिर = बाड़मेर
द्वारिकाधीश का मन्दिर = कांकरोली-राजसंमद
कुम्भश्याम मन्दिर = चितौड़गढ़
सती बीस देवरा = चितौड़गढ़
श्रृगांर देवी का मन्दिर = चितौड़गढ
मातृकुण्डियाँ मन्दिर = राश्मि गाँव चितौड़गढ़
श्रीसावंलियाजी का मन्दिर = चितौड़गढ
नारायणी माता का मन्दिर = अलवर
पाण्डूपोल का हनुमान मन्दिर = अलवर
तिजारा का जैन मन्दिर = अलवर
भर्तृहरी का मन्दिर = अलवर
गौतमेश्वर का मन्दिर = अरणोद प्रतापगढ़
भंवर माता का मन्दिर = छोटी सादड़ी प्रतापगढ़
हर्षद माता का मन्दिर = दौसा
सात सहेलियों का मन्दिर = झालावाड़
सूर्य मन्दिर = झालावाड़
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Q. 8 राजस्थान के प्रमुख मन्दिर
Contents
- 1 राजस्थान के प्रमुख मन्दिर राजस्थान के प्रमुख मन्दिर
- 1.0.0.1 रणकपुर जैन मन्दिरः-
- 1.0.0.2 पाश्र्वनाथ मन्दिर:-
- 1.0.0.3 तनोट माता का मन्दिर:-
- 1.0.0.4 सालासर बालाजीः-
- 1.0.0.5 हर्षनाथ/हर्ष भैंरू/हर्ष महादेव का मन्दिरः-
- 1.0.0.6 खाटूश्यामजी का मन्दिरः-
- 1.0.0.7 वशिष्ट जी का मन्दिरः-
- 1.0.0.8 देलवाड़ा के जैन मन्दिरः-
- 1.0.0.9 जगत शिरोमणी का मन्दिरः-
- 1.0.0.10 अम्बिका देवी का मन्दिरः-
- 1.0.0.11 एकलिंग जी का मन्दिरः-
- 1.0.0.12 कल्याण जी का मन्दिरः-
- 1.0.0.13 श्रीनाथ जी का मन्दिरः-
- 1.0.0.14 जीण माता का मन्दिरः-
- 1.0.0.15 तुरताई माता का मन्दिर:-
- 1.0.0.16 राजस्थान के प्रमुख मन्दिरों के नाम तथा उसका स्थानः-
- 1.1 राजस्थान के मन्दिरों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न